tag:blogger.com,1999:blog-2479201085996381008.post7497997232576973259..comments2023-09-05T03:37:40.294-07:00Comments on किताबों का कोना: हवा की खुशबू और बगीचों की घास से मोहब्बत......भारतीनामाअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-2479201085996381008.post-59723532153761379002011-05-23T06:14:11.590-07:002011-05-23T06:14:11.590-07:00ल्यो आपने समीक्षा भी पेश कर दी ....बिलकुल दुरुस्त ...ल्यो आपने समीक्षा भी पेश कर दी ....बिलकुल दुरुस्त !<br />चर्चा खूब सुनी है पर अभी तक पढ़ नहीं पाए हैं,हमारा दुर्भाग्य है !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479201085996381008.post-87291473684065493332011-05-19T17:09:53.903-07:002011-05-19T17:09:53.903-07:00'गुनाहों का देवता' सन 1987 के आस पास तब पढ़...'गुनाहों का देवता' सन 1987 के आस पास तब पढ़ी थी जब मैंने एक चर्चा के दौरान इस नॉवेल का नाम अपने गुरू जी के मुंह से सुना था । प्रकृति चित्रण के साथ इसमें मानव मन का भी सुंदर वर्णन किया गया है।<br />दूसरा नॉवेल तो इसका भी बाप है , जो कि इसके साथ ही पढ़ा था ।<br /><br />आग का दरिया <br />लेखक : क़िरअतुल ऐन हैदरDR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479201085996381008.post-86206827265131985672011-05-19T12:34:29.311-07:002011-05-19T12:34:29.311-07:00हम भी पढ़ रहे हैं :) और फिर से आज किताब भी खोल ही ल...हम भी पढ़ रहे हैं :) और फिर से आज किताब भी खोल ही लिए हैं <br /><br />आप की ही नक़ल हम भी करेंगे हमारी औकात तो नहीं है कोई विवेचना करने की "गुनाहों का देवता " के बारे मे कुछ भी कहने की लेकिन मेरी भावनाओ को जरूर लिखूंगा <br /><br />आपके पागल पन को देख कार ही किताब पढ़ी थी जो अब एक पूरा प्रेम युग प्रतीत होता है(कुंदन)https://www.blogger.com/profile/13462446613490816500noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479201085996381008.post-12180653896478015122011-05-19T11:44:53.828-07:002011-05-19T11:44:53.828-07:00बिल्कुल पढ़ रहे हैं..और आज भी उन फूलों की तरह ताजा...बिल्कुल पढ़ रहे हैं..और आज भी उन फूलों की तरह ताजा लग रहे हैं...अगले का इन्तजार.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2479201085996381008.post-58627388472322155402011-05-19T11:16:37.044-07:002011-05-19T11:16:37.044-07:00ध्यान से पढ़ रहे हैं..प्रकृति का सजीव वर्णन मन को ...ध्यान से पढ़ रहे हैं..प्रकृति का सजीव वर्णन मन को प्रभावित करता है.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.com