#विश्वपुस्तकमेला 2019
मैं दिल्ली के लगभग हर पुस्तक मेले में ,एक पाठक जिसे किताबें खरीदने और पढ़ने का जुनून है, की हैसियत से जरूर शिरकत करने का प्रयास करता हूँ और अधिकाँश बार सफल भी होता हूँ | शुरआती दिनों में हिंदी साहित्य की सिर्फ इतनी समझ थी कि तमाम नामचीन लेखकों साहित्यकारों की किताबें ,विशेषकर उपन्यास ,कहानी संग्रह ,प्रतिनिधि कहानियां आदि खरीद कर लाता था और पढता था | धीरे धीरे आकर्षण उन नई पुस्तकों की ओर बढ़ा जिन किताबों का ज़िक्र पुरस्कार प्राप्त करने वाली फेहरिश्त में होता था फिर किताबों की समीक्षा ने भी नई किताबों से परिचय करवाया |
पिछले कुछ समय में देखा और पाया कि ,बहुत सारे मित्र ,ब्लॉगर साथी और अन्य परिचित भी लेखक के रूप में इन पुस्तक मेलों में चमकते मिलने लगे | अब इससे अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती थी कि किताबों के लेखक किताब पढ़ने से पहले ही रूबरू थे न सिर्फ आमने सामने बल्कि बड़े स्नेह से अपने हस्ताक्षरों सहित प्रेमपूर्वक स्नेह भी दे रहे थे | कुल मिला कर अब तो शायद ही कोई ऐसा पुस्तक मेला हो जिसमें हमारे मित्रों /दोस्तों /परिचितों की किताबें न आ रही हों , उनका विमोचन न हो रहा हो | पाठक के रूप में और निरे पाठक के रूप में हम जैसे गिने चुने ही बचे हुए हैं जो लेखकों और पाठकों के लिए भी थोड़ा सुकूनदायक तो होगा ही |
पिछले कुछ समय से प्रकाशकों और शायद इसमें लेखकों की भी मिलीभगत हो सकती है ,द्वारा पाठकों के साथ एक गुपचुप धोखाधड़ी भी देखने में आ रही है और हो सकता है कि ये सिर्फ मेरे जैसे ढेरम ढेर किताबें खरीदने वाले को लगा हो | वो ये कि पूर्व प्रकाशित कहानी संग्रहों को किसी नई कहानी और नए कलेवर के साथ पूरे तामझाम से परोस देना | यानि नई बोतल में पुरानी शराब | यहां तक कि कहीं इस बात का कोई ज़िक्र तक नहीं होता नए संस्करण में कि अमुक कहानी संग्रह पहले भी अमुक नाम और कलेवर से प्रकाशित हो चुकी है | एक पाठक के साथ ये अनुचित लेखकीय और प्रकाशकीय व्यवहार है |
आज बच्चों का दिन रहा ,किताबों से उनकी दोस्ती कराना मेरा दायित्व है और किताबों के प्रति आकर्षण पैदा करना मेरा कर्तव्य | ज़िंदगी को बेहतर समझने के लिए और ज़िंदगी से पहले तथा ज़िंदगी के बाद को भी समझने के लिए किताबें बहुत अहम् हैं किसी धरोहर से कम नहीं हैं किताबें
कल फिर जा रहा हूँ , और लौट कर बातें करूंगा ,नए लेखकों के विषय , भाषा , प्रवाह , साहित्य ,सम्मान के रुख पर. .. .. ..