इन दिनों राग दरबारी सुन रहे हैं , श्री लाल शुक्ल जी को पढते हुए गजब अनुभव हो रहा है , न सिर्फ़ ग्राम जीवन से परिचय हो रहा है बल्कि हर दो पन्ने के बाद एक नए किरदार से मुलाकात हो जाती है । अभी तो चंद पन्नों को ही पलटा है.....................
"खन्ना मास्टर का असली नाम खन्ना था । वैसे ही जैसे तिलक , पटेल ,गांधी ,
नेहरू आदि हमारे यहां जाति के नहीं , बल्कि व्यक्ति के नाम हैं । इस देश
में जाति -प्रथा को खत्म करने की यही के सीधी सी तरकीब है । जाति से उसका
नाम छीनकर उसे किसी आदमी का नाम देने से जाति के पास और कुछ नहीं रह जाता । वह अपने-आप खत्म हो जाती है "
का धांसू बात कहे हैं शुकुल जी .. पहिलका लंबर पर इहे राग छेडे हैं कुल 330 पेज है , गज्जबे है ..बताएंगे धीरे धीरे आपको भी .....
"कलूटी लडकियां हर शाम मुझको छेड जाती हैं ।" इस मिसरे से शुरू होनेवाली
कविता उन्होंने अफ़ीम की डिबियों पर लिखी थीं ..उन्होंने माने रामाधीन
भीखमखेडवी जी ..अईसा सूचना ..शुकुल जी ..राग दरबारी में देते हैं ..अब
इत्ता और पता चल जाए कि उक्त कविता कहां प्राप्त होगी ...अन्यथा मिसरे ने
हमारा भी मिजाज फ़डका दिया है ...सोच रहे हैं मिसरे के पीछे पीछे होकर हम भी
कुछ लिख ही डालें |
देश में इंजीनियरों और डॉक्टरों की कमी है । कारण यह अहि कि इस देश के
निवासी परम्परा में कवि हैं । चीज़ को समझने के पहले वे उस पर मुग्ध होकर
कविता कहते हैं । भाखडा-बांध को देखकर समझने के पहले वे कह सकते हैं ,"अहा !
अपना चमत्कार दिखाने के लिए , देखो , प्रभु ने फ़िर से भारत-भूमि को चुना ।
" ऑपरेशन -टेबल पर पडी हई युवती कोद देखकर मतिराम-बिहारी की कविताएं
दुहराने लग सकते हैं ।........राग दरबारी में श्रीलाल शुक्ल लिखते हैं ।
कमाल का उपन्यास है ,..जाने ,गांव देहात की कौन कौन गलियां घुमा रहे हैं
शुकुल जी
अदालत में काम करते रहने के बावजूद आज तक अईसन परिभासा नय मिल सका जईसन
सुकुल जी बता दिए " पुनर्जन्म के सिद्धान्त की ईजाद दीवानी की अदालतों में
हुई है , ताकि वादी और प्रतिवादी इस अफ़सोस को लेकर न मरें कि उनका मुकदमा
अधूरा ही पडा रहा । इअनके सहारे वे सोचते हुए चैन से मर सकते हैं कि मुकदमे
का फ़ैसला सुनने के लिए अभी अगला जन्म तो पडा ही है "...राग दरबारी में
"ये यहां पब्लिक हेल्थ ए.डी.ओ हैं । जिसकी दुम में अफ़सर जुड गया , समझ लो
अपने को अफ़लातून समझने लगा है " । ......अईसन अईसन घनघोर डेफ़िनेसन दिए हैं
..सुकुल जी न ...कि आपको जिंदगी का असली डेफ़िनेसन बूझा जाएगा ..
शुकुल जी बोले तो राग दरबारी में श्री लाल शुक्ल जी
अब तनिक कमीज माने कि शर्ट की परिभासा ," बुश्शर्ट, जो उनकी फ़िलसाफ़ी के
अनुसार मैली होने के बावजूद कीमती होने के कारण पहनी जा सकती है "
....गज्जब हैं सुकुल जी ..जुलुम कर डाले हैं कसम से ....राग दरबारी ।
"यह हमारी गौरवपूर्ण परम्परा है कि असल बात दो चार घण्टे की बातचीत के बाद अन्त में ही निकलती है ।"...
"शास्त्रों में शूद्रों के लिए जिस आचरण का विधान है , उसके अनुसार चौखट पर
मुर्गी बनकर उसने वैद्य जी को प्रणाम किया । इससे प्रकट हुआ है कि हमारे
यहां आज भी शास्त्र सर्वोपरि है और जाति-प्रथा मिटाने की सारी कोशिशें अगर
फ़रेब नहीं हैं तो रोमाण्टिक कार्रवाइयां हैं ।".....श्री लाल शुक्ल ...राग
दरबारी में
badiya likhe ho.....
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शशिकांत जी
हटाएंUdan Tashtari ने आपकी पोस्ट " कलूटी लडकियां हर शाम मुझको छेड जाती हैं ....... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जवाब देंहटाएंओह!! इस पुस्तक की क्या बात है....आजकल इनकी ही एक और पुस्तक ’मकान’ पढ़ रहा हूँ.
राग दरबारी दा जवाब नहीं। महाक्लासिकल उपन्यास है। इसकी टक्कर का दूसरा उपन्यास न तो रचा गया है और न ही रचे जाने की सम्भावना है।
जवाब देंहटाएं------
..की-बोर्ड वाली औरतें।
बहुत देर कर दिहे हैं दद्दा....सनिचरा से मिले हैं भला ?
जवाब देंहटाएंअजय भाई, आपको पूरी रागदरबारी टाईप करनी पढ़ जायेगी।
जवाब देंहटाएंWho seem to ought to do any stuff inside of a loved ones? http://3t829js82u.dip.jp https://imgur.com/a/JOQBxVx https://imgur.com/a/L6lJVxQ https://imgur.com/a/8QAxRDR https://imgur.com/a/UZNCVxa https://imgur.com/a/x6ysqx0 http://9r7p7am9zh.dip.jp
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