इंद्रप्रस्थ भारती ,हिंदी अकादमी द्वारा प्रकाशित एक मासिक साहित्यिक पत्रिका है और वर्ष 2016-2017 में प्रकाशित पत्रिकाओं के कुल 24 अंकों में से चुन कर पाठकों के लिए कुल 18 कहानियों का ये संकलन निश्चित रूप से कहानियों की खुराक की चाह रखने वाले पाठकों के लिए पठनीय और संग्रहणीय है।
18 कहानियों में से 9 लेखक व 9 लेखिकाओं की कहानियों को संग्रह में रख कर एक प्रकार से संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है। हालांकि इसके बावजूद भी मुझे पाठक के तौर पर लेखिकाओं द्वारा लिखित और स्त्री शक्ति व महिलाओं पर केंद्रित कहानियों ने ज्यादा प्रभावित किया। यूँ भी मैंने देखा है की महिलाओं के लेखन में जब पुरुषों की खामियों का चित्रण होता है तो बहुत अधिक कठोर मगर ताकतवर सच होता है।
इस कहानी संग्रह की कुल 18 कहानियों में ,सोनी पांडेय द्वारा लिखित बलमाजी का स्टूडियों , हुस्न तबस्सुम निहां द्वारा लिखित एक निकाह ऐसा भी `, उर्मिला शुक्ल द्वारा लिखिक अस्ताचल का सूरज ,रक्षंदा रूही द्वारा लिखित खुशबू का सफर तथा सुषमा मुनींद्र द्वारा लिखित शुभ सात कदम मुझे सबसे अधिक सशक्त व प्रभावित करने वाली कहानियाँ लगीं। जबकि श्री मनोज कुमार पांडेय द्वारा लिखित कहानी ,"राजा ने कपडे बदल बदल आकर देश का विकास किया' , भाजपा सरकार के प्रति पूर्वाग्रस्त एक प्रलाप सरीखा है जो कहीं भी किसी भी दृष्टिकोण से कहानी जैसा नहीं लगता।
कुल 230 पन्नों की यह किताब 180 रूपए की है। और डॉ जीतराम भट्ट द्वारा सम्पादित इस कहानी संग्रह में जीवन के हर रंग ,कथा के हर शिल्प का चित्रण बखूबी देखने पढ़ने को मिल जाता है। हर कहानी के शुरू में विभिन्न कथाकारों के कथ्य व सुन्दर रेखाचित्रों से पुस्तक की साज सज्जा और भी बढ़ जाती है। कुल मिला कर यह कहानी संग्रह पठनीय है कर सहजनीय भी।
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मैंने किताब को पढा और फ़िर लिखा ..आपने पोस्ट को पढा और ......लिखा क्या ??? अरे तो लिखिए न फ़िर ...क्या सोच रहे हैं जी